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अद्भुत! 15 साल का जिशान बना हाफीज ए कुरआन

Dhuliya – Shakeel Shaikh

धुलिया के हजार खुली के जिशान बेग ने महज 15 साल की उम्र में कुरान-ए-पाक का पाठ मुकम्मल कर लिया है.जिशान बेग को हाफिज ए कुरआन की उपाधि से नवाजा गया.धुलिया के हजार खुली मोहल्ला से ताल्लुक रखने वाले जिशान बेग ने स्कूली पढ़ाई को जारी रखकर अपने वक्त का सदुपयोग करते हुए दीनी तालीम हासिल की. 3 साल की कढ़ी मेहनत और मशक्कत के बाद कुरआन हिफ्ज किया, जिसके पश्चात उन्हें हाफिज ए कुरआन की उपाधि से नवाजा गया है.जिशान की उम्र महज 15 साल है और वे कक्षा 10 वीं के छात्र हैं. हाफिज ए कुरआन बनकर इंसानियत का पैगाम दुनिया में आम करना चाहते हैं.कौन होते हैं हाफिज ए कुरआनजिशान बेग की इस उपलब्धि पर उनका परिवार तो खुश है ही, वहीं मस्जिद के इमाम ने भी उन्हें मुबारकबाद दी और उनके उज्जवल मुस्तकबिल (भविष्य) के लिए दुआएं की हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होता है कुरआन और कौन होता है हाफिज ए कुरआन. दरअसल कुरआन इस्लाम मजहब की एक मुकद्दस (पवित्र) किताब है, जिसमें इंसानों के लिए इंसानियत और जिंदगी बशर (गुजारने) का पूरा तरीका मौजूद है. जिस पर अमल करने से इंसान परहेजगार (यानी की बुरी बातों और गुनाहों से खुद भी बचने और दूसरो को भी रोकने वाला) बन जाता है. इसलिए इसे सिर्फ रट्टा मारकर पढ़ना ही सब कुछ नहीं है, बल्कि समझ कर पढ़ना और उसकी बातों पर अमल करना भी महत्वपूर्ण होता है. तब जाकर इंसान एक कामिल मोमिन और अच्छा इंसान बनता है, जो खुद भी गुनाहों और बुरी बातो से बचता है,और दूसरो को भी गुनाह करने और बुरी बातो से रोकने के लिए ताकीद (आग्रह) करता है.15 साल की उम्र में याद किया कुरआन15 वर्षीय जिशान बेग ने इसी मुकद्दस (पवित्र) किताब को हिफ्ज़ (मौखिक याद) किया है, अब वो उस पर अमल करते हुए कुरआन के इंसानियत के पैगाम को आम करना चाहता है.दैनिक नवभारत से बातचीत के दौरान जिशान ने अपनी खूबसूरत आवाज में कुरआन की आयते तिलावत करके (पढ़कर) सुनाईं और उन्होंने अपने शेड्यूल के बारे में बताया की उन्होंने किस तरह से वक्त निकाला और ये मुकाम हासिल किया.फलाहे दारेन मदरसे में पढ़ाई करते थे जिशानजिशान बताते हैं कि ”वो रोज सुबह पांच बजे उठकर कुरआन की तिलावत करते और स्कूल का समय होने पर स्कूल चले जाते हैं. स्कूल से घर आकर एक घंटे आराम करने के बाद चार घंटे के लगभग वो मदरसे को देते और घर आकर स्कूल की पढ़ाई करते थे. उन्होंने 6वीं क्लास से हाफिज ए कुरआन का कोर्स शुरू किया था, जो की 10 वीं क्लास में मुकम्मल (पूरा) हो गया.” साथ ही जिशान बताते है कि, ”कुरआन इंसानियत के पैगाम से भरा हुआ है और इसे इंसानों की भलाई के लिए ही उतारा गया है. मेरा मकसद है की में दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम भी हासिल करू ओर इन्सानियत का पैगाम लोगो तक पहुचाऊजिशान बेग के दादा शब्बीर बेग बताते हैं कि उनके बडे लडके मरहुम इलियास बेग जीस का 10/1/2022 को एक लाहक बीमारी की वजह से मौत हुवी थी जिशान उनका बडा बेटा है, उस का एक छोटा भाई दो बहने हैं. पढ़ाई कर रही है, वो भी साथ में कुरआन की तालीम भी हासिल कर रही है. वे बताते हैं कि, ”मेरे पोते जिशान ने हाफिज ए कुरआन का कोर्स बड़ी ही मेहनत और मशक्कत के साथ पूरा किया. जिसकी उसे उपाधि दी गई है.आज हमारा पुरा बेग खानदान अल्लाह का शुक्र अदा कर रहा है

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