3 की मौत, 11 साल का बच्चा जिंदगी-मौत से जूझ रहा
RTO की ‘अभय दान’ स्कीम ने ली जानें, फ्लाइंग स्क्वाड की जांच की मांग
wahid kakar@ jalgaon
मुक्ताईनगर तहसील में पुरनाड फाटा पर शुक्रवार दोपहर करीब 12:30 बजे हुआ वह भयानक हादसा, जो परिवहन विभाग की घोर लापरवाही का जीता-जागता सबूत है! तेज रफ्तार ओवरलोड डंपर ने बाइक (एमएच 19 सीआर 2695) को बुरी तरह रौंद दिया और 50-60 फीट तक घसीटा, जिससे चौहान परिवार का पूरा घर उजड़ गया। तीन सदस्यों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 11 साल का मासूम बेटा गंभीर रूप से घायल होकर अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक हादसा है या परिवहन विभाग की ‘कमाई की स्कीम’ का नतीजा हैं। मामले की उच्च स्तरीय समिति द्वारा जांच कराए जाने की मांग स्थानीय लोगों ने उठाई है।
चौहान परिवार जलगांव के गुरुद्वारे में सेवारत था और मूल रूप से मध्य प्रदेश के बैतूल जिले का रहने वाला था। वे जलगांव में एक कंपनी में काम करते थे। नवरात्रि के पावन अवसर पर बाइक पर सवार होकर जलगांव से मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित इच्छापुर देवी के दर्शन करने जा रहे थे। पुरनाड फाटा पर हाईवे निर्माण कार्य के दौरान मुरुम ढो रहे डंपर ने उनकी बाइक को सामने से टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बाइक डंपर के एक्सल में फंस गई और परिवार के सदस्यों को घसीटते हुए ले गई। सड़क पर लाशों के चिथड़े बिखर गए, जो सड़क सुरक्षा की पोल खोलते हैं।
मारे गए लोगों में नितेश जगत सिंह चौहान (32), उनकी पत्नी सुनीता नितेश चौहान (25) और बेटा शिवदास नितेश चौहान (7) शामिल हैं। घायल बेटा निहाल सिंह नितेश चौहान (11) को मुक्ताईनगर उप जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत नाजुक है। घटना के बाद गुस्साए लोगों ने डंपर चालक को पकड़कर पीटा और ट्रक को आग के हवाले करने की कोशिश की। पुलिस ने नशे में धुत चालक को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन असली दोषी कौन? परिवहन विभाग, जो ओवरलोड वाहनों से हर महीने मोटी रकम ‘अभय’ के नाम पर वसूलता है!
सूत्रों के मुताबिक, जलगांव परिवहन विभाग ओवरलोड वाहनों से बाकायदा मासिक रकम जमा करता है। वाहनों की सूची और रकम की उगाही ‘कार्ड’ के नाम पर तयाड़े इकट्ठा कर RTO को सौंपी जाती है। यह ‘अभय दान’ स्कीम सड़कों पर मौत बांट रही है, क्योंकि ओवरलोड डंपर बेधड़क दौड़ते हैं। हाईवे पर चल रहे निर्माण कार्य में ऐसी लापरवाही क्यों? क्या ट्रैफिक नियमों को ताक पर रखकर कमाई का खेल चल रहा है?
इस पूरे मामले में फ्लाइंग स्क्वाड की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि बी एन अग्रवाल कंस्ट्रक्शन कंपनी के वाहनों की जांच हुई या नहीं, इसकी गहन पड़ताल हो। हादसे के समय फ्लाइंग स्क्वाड कहां कार्यरत था? क्या वे सोए हुए थे या ‘अभय’ की कमाई में व्यस्त? नागरिकों का गुस्सा फूट पड़ा है और वे कह रहे हैं कि अगर जांच नहीं हुई तो यह सिस्टम की सड़ांध है!
यह हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि परिवहन विभाग की भ्रष्टाचार की कहानी है। परिवार की खुशियां पल भर में मातम में बदल गईं, लेकिन अफसरों की जेबें भरती रहीं। पुलिस ने फॉरेंसिक टीम बुलाकर जांच शुरू की है, लेकिन अब RTO और फ्लाइंग स्क्वाड पर गाज गिरनी चाहिए। क्या सरकार जागेगी या और मौतें होंगी? इस तरह का सवाल नागरिक पूछ रहे हैं।