Nasik – Political Desk
रविवार को उपमुख्यमंत्री अजित पवार नाशिक के दौरे पर आए थे. इस दौरान उन्होंने आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि जब सिंचाई घोटाले के आरोप लगे थे, तो विपक्ष ने मेरी कड़ी आलोचना की थी और मैंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. अब लोग मंत्री धनंजय मुंडे के वाल्मीक कराड के साथ संबंधों पर सवाल उठा रहे हैं और पूछ रहे हैं कि वे नैतिक आधार पर इस्तीफा क्यों नहीं देते. मुझसे पूछने के बजाय सीधे उनसे पूछिए, पवार ने सवाल को मुंडे की ओर मोड़ते हुए कहा. आलोचनाओं का यह आदान-प्रदान महाराष्ट्र सरकार के भीतर चल रहे तनाव को उजागर करता है, खासकर राकांपा और भारतीय भाजपा के बीच सिंचाई घोटाले के आरोप विवाद का विषय रहे हैं, जिसका एक महत्वपूर्ण परिणाम पवार का इस्तीफा है. अब ध्यान मुंडे के कराड के साथ कथित संबंधों पर चला गया है, जिससे उनके इस्तीफे की मांग तेज हो गई है. पवार नाशिक रोड पर न्यायालय के उद्घाटन के लिए नाशिक आए थे. उन्होंने सरकारी विश्राम गृह में मीडिया से बातचीत की. वाल्मीक कराड से संबंधों के बाद भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर धनंजय मुंडे के इस्तीफे को लेकर विपक्ष ने उन्हें घेर लिया है. पवार ने इस पृष्ठभूमि पर टिप्पणी की. उन्होंने यह भी कहा कि सिंचाई घोटाले के आरोपों के बाद उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया था. मैं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पहले ही कह चुके हैं कि बीड की घटना निंदनीय है. हमारा वचन है कि हम दोषियों को नहीं छोड़ेंगे. अजित पवार ने कहा कि 1992 से उनकी छवि खराब होने और बदनामी के बावजूद उन्होंने अतीत में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने बताया कि अन्य नेताओं ने भी इस्तीफा दिया है, लेकिन वर्तमान स्थिति अलग है. पवार ने सवाल किया कि धनंजय मुंडे इस्तीफा देने की नैतिक ईमानदारी क्यों नहीं दिखाते, जबकि मुंडे का दावा है कि उनका इस मामले से कोई संबंध नहीं है. पवार की यह टिप्पणी मुंडे पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों और विवाद के बीच आई है.
वरिष्ठ रांकापा नेता छगन भुजबल को कथित तौर पर महाराष्ट्र मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया, जिससे उनमें असंतोष फैल गया. रविवार को उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नाशिक दौरे में भुजबल की अनुपस्थिति से अटकलों का बाजार गर्म हो गया. पवार ने भुजबल की अनुपस्थिति को अधिक महत्व नहीं देते हुए कहा कि वह वरिष्ठ नेता हैं और हर कोई अपने काम में व्यस्त है. भुजबल ने मंत्रिमंडल विस्तार से बाहर रखे जाने पर निराशा व्यक्त की थी और अजित पवार के साथ किए गए व्यवहार से अपमानित महसूस किया था. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या उनके साथ पवार के हाथों में एक खिलौने की तरह व्यवहार किया जा रहा है. भुजबल के समर्थकों ने इस निर्णय की आलोचना करते हुए पुणे में विरोध प्रदर्शन भी किया. भुजबल और पवार के बीच मतभेद ने लोगों को चौंका दिया है और कुछ लोग भुजबल की भविष्य की योजनाओं को लेकर अटकलें लगा रहे हैं. भुजबल ने स्वतंत्र मार्ग अपनाने का संकेत देते हुए कहा था, जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना.