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डॉ. सुवर्णा वाजे मर्डर केस – 3 वर्ष बाद भी नहीं सुलझी गुत्थी – कौन था वो जिसे मिली थी चिकित्सा अधिकारी

Nasik – Staff Reporter

नाशिक जिला न्यायालय ने नाशिक मनपा में चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुवर्णा वाजे की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी डॉ. संदीप वाजे और यशवंत म्हस्के को बरी कर दिया है, न्यायालय ने उन्हें दोषी नहीं पाया, लेकिन न्यायाधीश रूपेश राठी ने पुलिस जांच की गुणवत्ता और गहनता पर चिंता व्यक्त करते हुए इसकी कड़ी आलोचना की. यह मामला डॉ. सुवर्णा वाजे की हत्या से जुड़ा है, जिनका शव जला हुआ पाया गया था. उनके पति डॉ. संदीप वाजे मुख्य संदिग्ध थे और पुलिस जांच में पता चला कि वह अपने विवाहेतर संबंध और तलाक तथा गुजारा भत्ता की मांग के कारण उनसे छुटकारा पाने की योजना बना रहे थे. पुलिस जांच की न्यायालय की आलोचना मामले की अधिक गहन और पेशेवर जांच की आवश्यकता को उजागर करती है. आरोपियों को बरी किए जाने से जांच की प्रभावशीलता और सबूत जुटाने तथा मजबूत मामला बनाने की पुलिस की क्षमता पर सवाल उठे हैं. जिस दिन डॉ. सुवर्णा वाजे की हत्या हुई, उस दिन उनकी किसी से मुलाकात हुई थी, लेकिन पुलिस को यह पता लगाने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं मिल पाया कि वह व्यक्ति कौन था या उनकी मुलाकात के दौरान क्या हुआ था. इस संदर्भ में अॅड. राहुल कासलीवाल और स्नेहिल पाटिल ने डॉ. संदीप वाजे की ओर से मजबूत दलीलें पेश कीं, जबकि अॅड. मंदार भानुसे ने यशवंत म्हस्के का प्रतिनिधित्व किया. इस मामले ने गहन जांच की आवश्यकता और साक्ष्य-आधारित सजा के महत्व पर ध्यान आकर्षित किया है.

क्या था मामला?

नाशिक मनपा में चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुवर्णा वाजे की रहस्यमयी मौत की गुत्थी दस दिन बाद सुलझ गई. पुलिस जांच में पता चला कि उनकी हत्या की साजिश रची गई थी. 26 जनवरी, 2022 को वाडीवाह्रे इलाके में जली हुई कार में डॉ. वाजे का जला हुआ शव मिला था. कार पूरी तरह से नष्ट हो गई थी और उनके शरीर को एसिड और केमिकल का इस्तेमाल करके जला दिया गया था. डॉ. सुवर्णा वाजे श्री स्वामी समर्थ अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी के तौर पर काम करती थीं. 25 जनवरी 2022 को उन्होंने अस्पताल में अपनी शिफ्ट पूरी की, लेकिन फिर कभी घर नहीं लौटीं. उनके पति संदीप वाजे ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. अगले दिन उनकी जली हुई कार नाशिक-मुंबई हाईवे पर मिलिट्री गेट के पास मिली, जिसमें जले हुए मानव अवशेष थे. फोरेंसिक जांच के बाद, अवशेषों की पुष्टि डॉ. वाजे के होने की हुई, जिससे उनकी मौत का रहस्य और गहरा गया.

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