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जिला परिषद ने घटिया दवाइयां खरीदीं – सरकारी प्रमाणित प्रयोगशाला से चौंकाने वाला खुलासा दवा स्टॉक का निरीक्षण नहीं किया गया

Kakar Wahid. जलगांव. जलगांव जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग द्वारा संदिग्ध घटिया दवाओं की खरीद के बारे में परेशान करने वाली जानकारी सामने आई है. चौंकाने वाली बात यह है कि आपूर्तिकर्ताओं से खरीदी गई इन दवाओं को सरकार द्वारा अनुमोदित प्रयोगशाला में परीक्षण किए बिना वितरित किया गया. परीक्षण प्रयोगशाला की एक रिपोर्ट से पता चला है कि जिला औषधि भंडार द्वारा जांच के लिए कोई नमूना नहीं भेजा गया था. इससे आपूर्ति की जा रही दवाओं की गुणवत्ता और रोगियों के लिए संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा होती हैं. जिला परिषद द्वारा आपूर्तिकर्ताओं से खरीदी गई घटिया दवाओं के बारे में परेशान करने वाली जानकारी सामने आई है. आपूर्तिकर्ताओं से दवा का स्टॉक प्राप्त करने के बाद, इसे जिला औषधि गोदाम में संग्रहीत किया जाता है. वितरण से पहले, स्टॉक को जिला सरकारी प्रयोगशाला, एनएबीएल और एफडीए द्वारा परीक्षण और प्रमाणित किया जाना चाहिए. इसे सुविधाजनक बनाने के लिए, दवाओं के नमूने सत्यापन के लिए इन प्रयोगशालाओं में भेजे जाते हैं.

नहीं भेजे गए जांच के नमूने :

यह पता चला है कि जलगांव जिला परिषद के औषधि भंडारण विभाग ने आपूर्तिकर्ताओं द्वारा उपलब्ध कराई गई दवाओं के नमूनों को परीक्षण के लिए प्रयोगशालाओं में नहीं भेजा. यह चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब शिकायतकर्ता दिनेश भोले ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी. विभाग ने स्वीकार किया कि 1 जुलाई 2023 से 9 जनवरी 2025 के बीच कोई भी दवा का नमूना परीक्षण के लिए प्रयोगशालाओं में नहीं भेजा गया.

बिना जांच किए वितरण :

आपूर्तिकर्ताओं से प्राप्त दवाओं की सरकारी प्रयोगशाला में जांच अनिवार्य है. प्रमाणित होने के बाद ही उन्हें स्वास्थ्य केंद्रों में वितरित किया जाना चाहिए और मरीजों को दिया जाना चाहिए लेकिन, ऐसा प्रतीत होता है कि ये दवाएं बिना किसी जांच के ही स्वास्थ्य केंद्रों में वितरित की जा रही हैं, जो चिंताजनक है.

स्वास्थ्य अधिकारी जिम्मेदार :

आपूर्तिकर्ताओं से प्राप्त दवाओं की सरकारी प्रयोगशाला में जांच कर उन्हें वितरित करने की जिम्मेदारी जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की है. लेकिन, इस मामले में अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं. इसके चलते जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. फिलहाल वे अपनी भूमिका में सक्रिय हैं. अब इस बात पर ध्यान केंद्रित है कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी इस मामले में क्या निर्णय लेते हैं.

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