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हिरण प्रजनन केंद्र में चौदह सांभर हिरणों की फिर हुवी मौत – वन्यजीव विभाग की लापरवाहीविगत वर्ष एप्रिल महा मे भी भुख से दम तोडे थे हीरन

Raver – Shakeel Shaikh

रावेर तहसील मे पाल स्थित हिरण प्रजनन केंद्र में उचित देखभाल के अभाव में बीते एक सप्ताह के दौरान चौदह सांभर हिरणों की मृत्यु हो गई है। जानकारी के अनुसार, हिरणों को समय पर पर्याप्त चारा और पानी नहीं मिलने के कारण उनकी मौत हुई है। इसके अलावा, कुछ अन्य हिरणों की हालत भी गंभीर बताई जा रही है। वन विभाग द्वारा इन मौतों की जानकारी छुपाने की कोशिश की जा रही है, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है। तहसील के इस प्रजनन केंद्र की विगत वर्ष दैनिक नवभारत ने एप्रिल महा मे खबर छापी थी के इस प्रजनन केंद्र मे 7 सांबर हिरण की भूख प्यास से मौत हुवी हैं फिर भी वण्यजीव विभाग ने इस की अंदेखी की

वन्यजीव विभाग की अनदेखी

वन्यजीव विभाग इस मुद्दे पर जानकारी देने से बच रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विभाग द्वारा हिरण प्रजनन केंद्र की पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है। यह केंद्र हिरणों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था, लेकिन वर्तमान में इसके विपरीत स्थिति देखने को मिल रही है। ।गौरतलब हो कि गत अप्रैल माह में भी सात सांभर जाति की हिरणों की मौत हुई थी,अब पंद्रह दिनों में चौदह हिरणों की मौत से वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं

विकास के नाम पर लापरवाही

पाल पर्यटन केंद्र देशभर के पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं और हिरण प्रजनन केंद्र भी घूमने जाते हैं।

लेकिन वन्यजीव विभाग की लापरवाही के कारण यहां के हिरण विलुप्त होने की कगार पर हैं।

एक ओर जहां जंगल सफारी और विकास कार्यों के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हिरणों के लिए समय पर चारा और पानी की व्यवस्था तक नहीं की जा रही है। इस तरह का आरोप स्थानीय नागरिकों द्वारा लगाया जा रहा है।

15 दिनों में 14 हिरणों की मौत

वन्यजीव संरक्षण के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं, लेकिन वन विभाग की लापरवाही और गैर-जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के कारण केवल आठ दिनों में चौदह हिरणों की मौत हो गई।

पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों ने इस मामले की गहराई से जांच की मांग की है।

इससे पहले भी, कुछ साल पहले बारह हिरणों की मौत हुई थी, लेकिन वन विभाग ने इससे कोई सीख नहीं ली और कोई ठोस उपाय नहीं किए।

अब इस केंद्र में मात्र छह हिरण बचे हैं, जिनमें से कुछ की हालत नाजुक है।

स्टेटमेंट

वनक्षेत्रपाल अमोल चव्हाण ने दिसंबर में पद छोड़ा था, तब यहां 21 हिरण थे। मृत हिरणों के शवों का पोस्टमॉर्टम कर उनके नमूने पुणे की प्रयोगशाला में भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद मृत्यु का सही कारण स्पष्ट होगा। हालांकि, प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, हिरणों को समय पर चारा और पानी नहीं मिलने के कारण उनकी मौत हुई है। पशु चिकित्सा अधिकारियों के अनुसार, चारे में विषाक्तता की संभावना भी हो सकती है।

वनपाल सूर्यवंशी

स्टेटमेंट
अगर संबंधित अधिकारी इसी तरह लापरवाही बरतते रहे और हिरणों की लगातार मौत होती रही, तो उच्च अधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए। सवाल यह उठता है कि जब इतने बड़े पैमाने पर हिरणों की मौत हो रही है, तो जिम्मेदार अधिकारी इस पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं?

जमनादास पवारा
नागरिक

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