Wednesday, July 30, 2025
Wednesday, July 30, 2025
Wednesday, July 30, 2025
spot_img
spot_img
A venture of Pen First Media and Entertainment Pvt. Ltd
Member of Working Journalist Media Council Registered by - Ministry of Information and and Broadcasting, Govt. Of India. New Delhi
HomeHindiशिक्षा के भविष्य पर भारी मराठी 'अस्मिता' की राजनीति: मनसे और उद्धव...

शिक्षा के भविष्य पर भारी मराठी ‘अस्मिता’ की राजनीति: मनसे और उद्धव सेना पर तीखी टिप्पणी

By – Waseem Raza Khan (Chief Editor)

महाराष्ट्र इस समय एक अजीबोगरीब विरोधाभास का गवाह बन रहा है। एक तरफ जहां मराठी भाषा को लेकर राजनीतिक दलों में घमासान मचा है, वहीं दूसरी तरफ शिक्षा मंत्री दादा भुसे के निर्वाचन क्षेत्र के बच्चे एक अदद स्कूल भवन के लिए धरना देने को मजबूर हैं। यह स्थिति महाराष्ट्र की राजनीति के उस खोखलेपन को उजागर करती है, जहां “मराठी अस्मिता” के नाम पर वोट बटोरे जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर शिक्षा जैसे बुनियादी मुद्दों की अनदेखी की जाती है।

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा निशाने पर हैं। ये दोनों दल मराठी भाषा को लेकर मुखर रहे हैं, और हाल ही में ‘मराठी न बोलने’ पर कुछ व्यापारियों के साथ कथित मारपीट की घटनाओं ने उन्हें एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। मनसे ने तो बाकायदा सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन भी किए हैं, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हुई है। सवाल यह उठता है कि क्या मराठी भाषा का सम्मान केवल जबरदस्ती या हिंसा से ही सुनिश्चित किया जा सकता है?

मनसे: भाषाई गुंडागर्दी या वास्तविक संरक्षण?

मनसे हमेशा से ‘भूमिपुत्र’ और मराठी अस्मिता की बात करती रही है। मराठी भाषा के संरक्षण का उनका दावा अक्सर आक्रामक और हिंसक रूप ले लेता है। जिस समय स्कूली बच्चे शिक्षा के लिए छत की मांग कर रहे हैं, उस समय मनसे का ध्यान ‘गैर-मराठी’ बोलने वालों पर केंद्रित है। यह दर्शाता है कि उनकी प्राथमिकताएं किस हद तक जनहित से भटकी हुई हैं। क्या मराठी भाषा की ‘अस्मिता’ तभी सुरक्षित होगी जब राज्य के बच्चे बिना स्कूल भवन के खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर होंगे? यह विरोधाभास मनसे की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। भाषाई शुचिता का यह कथित अभियान तब खोखला लगता है, जब राज्य की भावी पीढ़ियों का भविष्य अंधेरे में हो।

उद्धव ठाकरे सेना: विरासत का बोझ या नया मार्ग?

उद्धव ठाकरे की शिवसेना, जो कभी ‘मराठी माणूस’ की सबसे बड़ी पैरोकार थी, आज भी उसी विरासत का बोझ ढो रही है। हालांकि, मौजूदा भाषा विवाद में उनकी प्रतिक्रियाएं मनसे जितनी उग्र नहीं दिख रही हैं, लेकिन उनका मौन या प्रतीकात्मक विरोध भी पर्याप्त नहीं है। जिस समय उनके प्रदेश में बच्चे स्कूल भवन के लिए तरस रहे हैं, तब ‘मराठी दिवस’ मनाने या ‘शास्त्रीय मराठी’ पर जोर देने जैसे कदम कहीं अधिक राजनीतिक दिखावा प्रतीत होते हैं। क्या मराठी भाषा का सम्मान तभी सुनिश्चित होगा, जब शिक्षा की नींव ही कमजोर हो? अगर ‘मराठी अस्मिता’ इतनी महत्वपूर्ण है, तो क्या बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना उसका पहला कदम नहीं होना चाहिए?

शिक्षा मंत्री दादा भुसे और शासन का दोहरापन:

शिक्षा मंत्री दादा भुसे के अपने क्षेत्र के बच्चों का स्कूल भवन के लिए धरना देना राज्य सरकार की विफलता को उजागर करता है। यह हास्यास्पद है कि जिस विभाग के मंत्री खुद बच्चों के शिक्षा के अधिकार के लिए जिम्मेदार हैं, उसी के बच्चे बेसिक सुविधाओं के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं। यह दर्शाता है कि सरकार की प्राथमिकताएं कितनी उलझी हुई हैं। एक तरफ, सरकार ‘शास्त्रीय मराठी दिवस’ मनाकर भाषा के प्रति अपनी निष्ठा दिखाना चाहती है, वहीं दूसरी ओर बुनियादी शिक्षा सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे बच्चों की अनदेखी करती है। यह दोहरा मापदंड अस्वीकार्य है।

निष्कर्ष:

मराठी भाषा महाराष्ट्र की पहचान है और इसका संरक्षण आवश्यक है, लेकिन यह केवल हो-हल्ला या जबरदस्ती से नहीं हो सकता। मराठी भाषा का वास्तविक सम्मान तब होगा जब राज्य के बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें, जब उन्हें भविष्य बनाने के अवसर मिलें, और जब राज्य विकास के पथ पर अग्रसर हो। मनसे और उद्धव ठाकरे की सेना को यह समझना होगा कि ‘मराठी अस्मिता’ की लड़ाई सिर्फ भाषा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं का समावेश भी होना चाहिए। बच्चों के स्कूल भवन के लिए दिए जा रहे धरने को नजरअंदाज कर के भाषाई राजनीति करना, सिर्फ सस्ती लोकप्रियता बटोरने जैसा है, जो महाराष्ट्र के भविष्य को खतरे में डाल रहा है। यह समय है कि राजनीतिक दल भाषाई भावनाओं को भड़काने के बजाय, वास्तविक जनहित के मुद्दों पर ध्यान दें और महाराष्ट्र को एक मजबूत और शिक्षित भविष्य की ओर ले जाएं।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

Most Popular