Nasik – Correspondent
नाशिक मनपा ने राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत आगामी कुंभ मेला योजना में अपने हिस्से के लिए कुल ₹550 करोड़ आवंटित किए हैं, साथ ही योजना में शामिल नहीं किए गए अन्य कार्यों के लिए भी. मनपा ने ₹200 करोड़ से अधिक की सावधि जमा राशि को तोड़कर आकस्मिक निधि की व्यवस्था करने की योजना बनाई है लेकिन पूर्व निर्वाचित प्रतिनिधियों ने इस कदम पर आपत्ति जताई है.
नाशिक मनपा आयुक्त मनीषा खत्री ने रविवार को स्थायी समिति के समक्ष वर्ष 2025-26 के लिए मनपा का 3054.70 करोड़ रुपये का बजट पेश किया. निगम ने आगामी कुंभ मेले के लिए राज्य सरकार को लगभग 7,000 करोड़ रुपये की योजना भी सौंपी है. स्वीकृत कार्यों के लिए मनपा को खर्च का 25% भुगतान करना होगा. कुंभ मेले में 2 साल से भी कम समय बचा है, ऐसे में अधिक समय की आवश्यकता वाले कार्यों को शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है. मनपा के हिस्से के रूप में चालू वित्तीय वर्ष के लिए 225 करोड़ रुपये और अगले वर्ष के लिए 200 करोड़ रुपये, कुल 425 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसके अतिरिक्त, 125 करोड़ रुपये की लागत वाले अनुमानित कार्यों के लिए अगले वर्ष के लिए 5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो कुंभ मेले के लिए आवश्यक हैं, लेकिन योजना में अनुमोदित नहीं हैं. आगामी वित्तीय वर्ष में विभिन्न प्रयोजनों के लिए आरक्षित 406 करोड़ रुपये की जमाराशि को विभाजित किया जाएगा. इसमें विशेष आरक्षित निधि से 200 करोड़ रुपये, ऋण राहत से 30 करोड़ रुपये तथा विकास प्रभार निधि से 135 करोड़ रुपये शामिल हैं. अधिकारियों ने बताया कि इस 365 करोड़ रुपये का अधिकांश हिस्सा सिंहस्थ सहित अमृत योजना के तहत कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
प्रतिक्रिया :
कुछ वर्षों से कुंभ मेले के लिए एक विशेष आरक्षित एवं ऋण राहत कोष बनाए रखा जा रहा था. सिंहस्थ कार्यों के लिए ऋण के स्थान पर जमा राशि का उपयोग करने का विकल्प चुना गया है. चूंकि सिंहस्थ की अवधि कम है, इसलिए कुछ काम तुरंत शुरू करने की जरूरत है. इसके लिए आगामी वर्ष में विभिन्न कार्यों के लिए डेढ़ सौ करोड़ रुपए का अनुमान लगाया गया है. (मनीषा खत्री आयुक्त, नाशिक मनपा)
प्रतिक्रिया :
सिंहस्थ मनपा की जिम्मेदारी नहीं है. नगर पालिका अधिनियम में कहीं भी सिंहस्थ का उल्लेख नहीं है. नाशिक में आयोजित सिंहस्थ कुंभ मेले की पूरी जिम्मेदारी राज्य और केंद्र सरकार की है. जकात बंद होने से मनपा की आय पहले ही कम हो चुकी है. कर राजस्व में वार्षिक वृद्धि 22 प्रतिशत रही. सरकार ने जीएसटी सब्सिडी में वृद्धि को 8 प्रतिशत तक सीमित कर दिया. चूंकि मनपा को दैनिक जरूरतों को पूरा करने में कठिनाई हो रही है, इसलिए सरकार को उत्तर प्रदेश की तर्ज पर इन कार्यों के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करानी होगी. (गुरूमित बग्गा, पूर्व उप महापौर, नाशिक)