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बर्खास्त IAS ट्रेनी पूजा खेडकर का ‘नॉन-क्रीमीलेयर’ प्रमाणपत्र रद्द – करोड़ों की संपत्ति का था मामला

Nasik – Staff Reporter

भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की बर्खास्त प्रशिक्षु पूजा खेडकर के ‘नॉन-क्रीमीलेयर’ प्रमाणपत्र मामले में सुनवाई पूरी हो गई है और नाशिक विभागीय आयुक्त कार्यालय ने उनका यह प्रमाणपत्र रद्द करने का फैसला किया है. उन पर करोड़ों रुपये की संपत्ति और महंगी गाड़ियां होने के बावजूद ‘नॉन-क्रीमीलेयर’ प्रमाणपत्र प्राप्त करने का आरोप था. विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, इसमें तथ्य पाए जाने के बाद विभागीय आयुक्त कार्यालय ने यह प्रमाणपत्र रद्द कर दिया है. इस संबंध में रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी गई है.

क्या है मामला?

स्थानीय प्रशासन ने एक गोपनीय रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें कहा गया था कि बर्खास्त IAS प्रशिक्षु पूजा खेडकर ने गुमराह करके नॉन-क्रीमीलेयर प्रमाणपत्र प्राप्त किया था. इस संबंध में नाशिक विभागीय आयुक्त कार्यालय ने पूजा खेडकर को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें पूछा गया था कि उनका ‘नॉन-क्रीमीलेयर’ प्रमाणपत्र क्यों रद्द न किया जाए. उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया था. बताया जाता है कि पूजा के पिता दिलीप खेडकर ने अपने वकील के माध्यम से अपना पक्ष रखा.

सुनवाई और गोपनीयता :

यह एक अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया है, इसलिए राजस्व आयुक्त कार्यालय ने अत्यधिक गोपनीयता बरती. पिछले कई महीनों से इस पर सुनवाई चल रही थी. अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उम्मीदवारों को आरक्षण का लाभ लेने के लिए ‘नॉन-क्रीमीलेयर’ प्रमाणपत्र आवश्यक होता है. इसके लिए शर्त यह है कि उम्मीदवार के माता-पिता की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए.

पूजा खेडकर ने यह ‘नॉन-क्रीमीलेयर’ प्रमाणपत्र अहिल्यानगर जिले के पाथर्डी के तत्कालीन प्रांताधिकारी से प्राप्त किया था. पूजा के पिता दिलीप खेडकर एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी हैं. उन्होंने हाल ही में लोकसभा चुनाव लड़ा था और उस समय प्रस्तुत हलफनामे में उन्होंने 40 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी. पूजा का ‘नॉन-क्रीमीलेयर’ प्रमाणपत्र विवादों में आने के बाद प्रशासन द्वारा की गई जांच में खेडकर परिवार के नाम पर करोड़ों की संपत्ति होने का खुलासा हुआ. बताया जाता है कि स्थानीय प्रशासन ने एक गोपनीय रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें कहा गया था कि यह प्रमाणपत्र गुमराह करके प्राप्त किया गया था.

कार्यालय का निर्णय और आगे की राह :

सूत्रों के अनुसार, विभागीय आयुक्त कार्यालय ने खेडकर को उनके प्रमाणपत्र पर अपना पक्ष रखने का पर्याप्त अवसर दिया था. उसके बाद ही यह प्रमाणपत्र रद्द करने का निर्णय लिया गया. बताया जाता है कि प्रमाणपत्र रद्द करने के विस्तृत कारण भी दर्ज किए गए हैं. हालांकि, यह स्पष्ट हो गया है कि यह प्रमाणपत्र गुमराह करके प्राप्त किया गया था, आयुक्त कार्यालय ने अलग से कोई नया मामला दर्ज नहीं किया है. यह विषय जांच के दायरे में नहीं था. प्रशासन का कहना है कि इस मामले में पहले से ही मामले दर्ज हैं.

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