Nasik – Correspondent
मनमाड से मुंबई के बीच चलने वाली पंचवटी एक्सप्रेस में मासिक पासधारक (MST) यात्री अपनी आरक्षित बोगियों में आराम से सोकर यात्रा करते हैं, वहीं दूसरी ओर अन्य डिब्बों में टिकट धारकों को भीड़ में खड़े होकर या दरवाजों के पास बैठकर सफर करना पड़ता है. चौंकाने वाली बात यह है कि पासधारक बोगी में कितनी भी सीटें खाली क्यों न हों, वहां दूसरों को प्रवेश नहीं मिलता. ऐसा लगता है जैसे पासधारकों की दादागिरी के सामने रेलवे प्रशासन भी बेबस हो गया है.
दैनिक यात्रियों की लाइफलाइन पर दादागिरी:
मनमाड-नाशिक-मुंबई के बीच रोजाना चलने वाली पंचवटी एक्सप्रेस जिले के हजारों नौकरीपेशा लोगों के लिए मुख्य आधार है. उनके लिए इस ट्रेन में एक वातानुकूलित और दो सामान्य श्रेणी की कुल तीन बोगियां आरक्षित हैं। इन बोगियों में मुख्य रूप से रविवार की छुट्टी के बाद सोमवार को मुंबई जाने वाले और शुक्रवार की रात मुंबई से नाशिक छुट्टी पर लौटने वाले नौकरीपेशा लोगों की भीड़ होती है. दैनिक यात्रा करने वाले पासधारकों का अनुपात तुलनात्मक रूप से कम है. इसलिए, इन दो दिनों को छोड़कर, अन्य दिनों में इन तीनों डिब्बों में ज्यादा भीड़ नहीं होती. 30 से 40 प्रतिशत सीटें खाली रहती हैं. यही कारण है कि कुछ पासधारक 3 सीटों की जगह घेरकर आराम से सोकर यात्रा करते हैं. यह बात इन बोगियों की तस्वीरों से उजागर हुई है.
टिकट धारकों की अनदेखी:
पंचवटी एक्सप्रेस में मुंबई आने-जाने वाले छात्रों और अन्य यात्रियों की संख्या काफी अधिक है. जगह की कमी के कारण कई लोगों को खड़े होकर यात्रा करनी पड़ती है. कुछ लोग दरवाजे पर बैठ जाते हैं. मासिक पासधारकों के डिब्बे में कई सीटें खाली होने के बावजूद उन्हें वहां प्रवेश नहीं मिलता. यात्री बताते हैं कि प्रवेश तो दूर, उन्हें दरवाजे पर भी खड़े होने नहीं दिया जाता. एक यात्री ने अपनी वातानुकूलित श्रेणी की टिकट अपग्रेड कराने की भी पेशकश की थी, लेकिन कुछ यात्रियों का अनुभव है कि पासधारकों ने निरीक्षक पर दबाव डालकर उसे रोक दिया. एक संबंधित यात्री ने रेलवे मंत्री से MST पासधारकों की दादागिरी की शिकायत भी की थी, लेकिन उस पर क्या कार्रवाई हुई, यह रहस्य बना हुआ है, क्योंकि स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है. मासिक पासधारकों की संख्या लगभग तीन हजार बताई जाती है, लेकिन उनमें से अधिकांश रोजाना यात्रा नहीं करते. संबंधितों को 700 रुपये में महीने भर का पास मिलता है, जबकि अन्य यात्रियों को एक तरफ की यात्रा के लिए 110 रुपये चुकाने पड़ते हैं.
प्रतिक्रिया:
पंचवटी एक्सप्रेस में इस प्रकार की कोई शिकायत हमारे पास नहीं आई है. सामान्यतः पासधारकों की बोगी उन्हीं के लिए आरक्षित होती है. यदि वहां कुछ सीटें खाली हों, तो अन्य टिकट धारकों को किराए का अंतर भरकर सीट उपलब्ध कराई जा सकती है, ऐसा नियम है. इति पांडे (विभागीय रेलवे प्रबंधक, भुसावल)
प्रतिक्रिया :
यदि पासधारकों की बोगी में जगह उपलब्ध है, तो अन्य यात्रियों को बैठने देने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. पासधारकों की जो दो सामान्य बोगियां हैं, उनमें से एक मनमाड में और दूसरी नाशिक में खुलती है. जगह उपलब्ध होने पर दूसरों को बैठने से रोकने जैसी घटनाएं दोबारा नहीं होनी चाहिए. इसके लिए संगठन पासधारकों को आवश्यक निर्देश और समझाएगा. किरण बोरसे (उपाध्यक्ष, रेलवे यात्री वेलफेयर संगठन)