Nasik – Staff Reporter
महाराष्ट्र के नाशिक में एक बड़ा कार्यक्रम होने वाला है, क्योंकि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का धन्यवाद समारोह 14 फरवरी को होने वाला है. इसकी तैयारी के लिए मंगलवार को सरकारी विश्राम गृह में शिवसेना पार्टी की एक योजना बैठक हुई, जहां नांदगांव निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक सुहास कांदे पूर्व पार्षदों को फटकार लगाते नजर आए. कांदे ने समारोह में बड़ी संख्या में शिवसेना कार्यकर्ताओं को लाने और पार्टी की ताकत दिखाने के महत्व पर जोर दिया. लेकिन बैठक के दौरान शिवसेना शिंदे गुट के भीतर आंतरिक संघर्ष स्पष्ट हो गया, जिससे कांदे स्पष्ट रूप से उत्तेजित हो गए. एकनाथ शिंदे की शिवसेना के सदस्य के रूप में, कांदे पार्टी के रैंकों के माध्यम से आगे बढ़े हैं, जो सार्वजनिक सेवा और प्रभावी नेतृत्व के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते हैं. आगामी समारोह और पार्टी की आंतरिक गतिशीलता पर महाराष्ट्र के राजनीतिक पर्यवेक्षकों की कड़ी नजर रहने की संभावना है. नाशिक में शिवसेना शिंदे गुट में पिछले कुछ दिनों से 2 गुटों के बीच तनाव बढ़ गया है. महानगर प्रमुख प्रवीण तिदमे और उपनेता अजय बोरस्ते के बीच पिछले कुछ दिनों से सुप्त संघर्ष चल रहा है, जिसके कारण पार्टी के भीतर काफी तनाव है. इस तनाव के बीच नाशिक में 14 फरवरी को एकनाथ शिंदे की आभार सभा आयोजित की जाएगी. इस सभा के लिए मंगलवार को नाशिक में शिवसेना के पदाधिकारियों और पूर्व नगरसेवकों की बैठक शिक्षण मंत्री दादा भुसे की उपस्थिति में होनी थी. लेकिन दादा भुसे के आने से पहले ही इस बैठक में पार्टी के भीतर की गुटबाजी सामने आ गई.
पूर्व पार्षदों पर भडके कांदे :
नाशिक जिले में शिवसेना पार्टी के भीतर तनाव चरम पर है. विधायक सुहास कांदे ने एक बैठक के दौरान अपना आपा खो दिया और पार्टी पदाधिकारियों और पूर्व पार्षदों को उनके आंतरिक संघर्ष के लिए फटकार लगाई. यह गुस्सा कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा पार्टी के आंतरिक मतभेदों पर चर्चा करने के कारण भड़का. कांदे ने एकता के महत्व पर जोर दिया और सभी से अपने मतभेदों को दूर करने और एक साथ काम करने का आग्रह किया. उन्होंने पूर्व पार्षदों को 14 फरवरी को उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आगामी कार्यक्रम में अधिक से अधिक शिवसेना कार्यकर्ताओं को लाने का निर्देश भी दिया. इस बीच शिवसेना के सहसंपर्क प्रमुख विजय करंजकर ने आंतरिक संघर्षों के बावजूद पार्टी के भीतर एकता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. पार्टी के आंतरिक मतभेद राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गए हैं, खासकर आगामी कार्यक्रम को लेकर. शिवसेना जून 2022 से आंतरिक संघर्षों से जूझ रही है, जब एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था, जिसके परिणामस्वरूप पार्टी के भीतर विभाजन हुआ था. सर्वोच्च न्यायालय वर्तमान में इस विभाजन से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा है, जो शिवसेना पार्टी के नाम और प्रतीक पर शिंदे गुट के दावों की वैधता निर्धारित करेगा.