ग्रामीण युवाओं को नेतृत्व के लिए तैयार कर रहा है फाली कार्यक्रम
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जैन इरिगेशन सिस्टम्स लिमिटेड के उपाध्यक्ष और फाली असोसिएशन के अध्यक्ष अनिल जैन ने फाली के छात्रओं को संबोधित करते हुए कहा कि“भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए कृषि क्षेत्र की भूमिका निर्णायक होगी। इसके लिए तकनीक आधारित खेती, नवाचार और दीर्घकालिक सोच आवश्यक है,”
शनिवार को जैन हिल्स में आयोजित फ्यूचर एग्रीकल्चर लीडर्स ऑफ इंडिया (फाली)-2025 के तीसरे सत्र के समापन अवसर दौरान इनोवेशन और एग्री-बिजनेस प्लान स्पर्धा में विजयी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया।
कृषि को बनाएं आधुनिक भारत की रीढ़
अनिल जैन ने कहा कि “कोरोना काल में जब सारा देश ठहर गया था, तब भी कृषि चलती रही। चाहे कितनी भी एआई तकनीक आ जाए, भोजन धरती से ही आएगा। इसलिए कृषि को तकनीक से जोड़ना और नवाचार के माध्यम से उसे लाभकारी बनाना समय की आवश्यकता है।”
उन्होंने फाली को “कृषि में परिवर्तन का उत्प्रेरक” बताते हुए कहा कि यह उपक्रम न केवल विद्यार्थियों को खेती से जोड़ता है, बल्कि उन्हें लीडरशिप, उद्यमिता और अनुसंधान की दिशा में तैयार करता है।
फाली से बदल रही है सोच
पत्रकारों से बातचीत में अनिल जैन ने बताया कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली में कृषि का समुचित स्थान नहीं है। “फाली पिछले 11 वर्षों से ग्रामीण युवाओं में कृषि के प्रति जागरूकता और जिज्ञासा बढ़ा रहा है। अब ‘फाली e+’ के माध्यम से शहरी छात्रों तक भी यह सोच पहुँचाई जा रही है।”
उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व फाली छात्र आज सफल व्यवसायी बनकर रोजगार सृजन कर रहे हैं। “फाली स्कॉलरशिप, इंटर्नशिप और वेंचर फंडिंग के जरिए नवाचार को बल दे रहा है,” उन्होंने कहा।
नवाचार में सांगली अव्वल, बिजनेस प्लान में पुणे प्रथम
स्पर्धा में देश के चार राज्यों से 49 नवाचार प्रस्तुत किए गए। ‘लाइफ सेविंग शूज़’ मॉडल के लिए सांगली की टीम ने पहला पुरस्कार हासिल किया। वहीं, पुणे के ग्रामप्रबोधनी विद्यालय ने ‘ड्राय पाउडर वेजेस’ बिज़नेस आइडिया के लिए पहला स्थान प्राप्त किया।
समापन समारोह में आईटीसी समूह के अॅग्री एंड आईटी बिजनेस प्रमुख शिवकुमार एस, फाली निदेशक नैंसी बैरी, यूपीएल, नाबार्ड, गोडरेज एग्रोवेट, स्टार एग्री, एसबीआई फाउंडेशन और जैन इरिगेशन के अधिकारी मंच पर उपस्थित थे।
“संघर्ष से भागें नहीं, समाधान ढूंढें”
छात्रों को संबोधित करते हुए अनिल जैन ने कहा, “संघर्षों से घबराना नहीं चाहिए। कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं, लेकिन समाधान भी हैं। जरूरी है मानसिकता बदलने की। फाली इसी परिवर्तन की शुरुआत है।”
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