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प्रत्येक जिला न्यायाधीश के पास 2000 मामले – महिला न्यायाधीशों की संख्या में 8 प्रतिशत की वृद्धि

Nasik – Staff Reporter

नाशिक जिले में, जिला अदालतों में प्रत्येक न्यायाधीश के पास 2000 से अधिक लंबित मामले हैं. 2017 में 30% से महिला जिला न्यायाधीशों का अनुपात बढ़कर 38.3% हो गया है. हाल ही में जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 के अनुसार, भारत में 1.4 अरब की आबादी के लिए 21,285 न्यायाधीश हैं. रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि विभिन्न कारणों से लाखों मामले लंबित हैं, जैसे वकीलों की कमी,  दस्तावेजों की कमी, मुकदमे में शामिल पक्षों की प्रतिक्रिया की नहीं, इसके अलाया बार बार अपीलें होना, गवाहों की जांच और  उच्च न्यायालयों और  जिला और उच्चतम न्यायालयों से स्थगन आदेश, रिकॉर्ड की अनुपलब्धता इन कारकों के कारण भारतीय न्यायपालिका में मामलों की बड़ी संख्या में लंबितता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च न्यायालयों में कुल स्वीकृत न्यायाधीशों के 33% पद खाली हैं, जिसके परिणामस्वरूप मौजूदा न्यायाधीशों पर काम का बोझ बढ़ गया है. इस बीच, देश की 719 जिला अदालतों में, चौंका देने वाले 4.57 करोड़ दीवानी और फौजदारी मामले लंबित हैं. अकेले महाराष्ट्र में, 55 लाख 62 हजार 225 मामले लंबित हैं. राष्ट्रीय स्तर पर, जिला अदालतों में लंबित मामलों में से लगभग 69% आपराधिक हैं, जबकि 31% दीवानी हैं. इन मामलों का निपटारा करने के लिए, जिला अदालतों में 18

 हजार न्यायाधीश हैं, और वकीलों और संबंधित पक्षों के साथ, वे लंबित मामलों को सुलझाने की जिम्मेदारी साझा करते हैं.

न्यायमूर्ति अभय ओका ने नाशिक में एक कार्यक्रम में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट लंबित मामलों के निपटारे के लिए एक कार्ययोजना लागू कर रहा है. इससे उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मामलों का मुद्दा फिर से चर्चा में आ गया है. उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय की तुलना में जिला न्यायाधीशों में महिला न्यायाधीशों का अनुपात अधिक है. वर्तमान में देश भर के 25 उच्च न्यायालयों में केवल एक महिला मुख्य न्यायाधीश हैं.

कई केस पुराने हो गए :

देश भर में 719 जिला न्यायालयों में 3,586 अदालतें हैं. महाराष्ट्र में 42 जिला न्यायालय हैं, जिनमें 500 अन्य न्यायालय हैं, तथा राज्य में 2228 न्यायाधीश कार्यरत हैं. देश भर में जिला न्यायालयों में लंबित मामलों में से 1.24 करोड़ से अधिक मामले (कुल मामलों का 27%) 1 वर्ष से कम पुराने हैं. 1.30 करोड़ मामले 1 से 3 वर्ष पुराने हैं.

आईपीएस अधिकारियों में बारह प्रतिशत महिलाएं :

देश में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन अधिकारी स्तर पर उनका प्रतिनिधित्व कम है. राष्ट्रीय स्तर पर, केवल 8% पुलिस अधिकारी महिलाएं हैं. इनमें से: 52% महिला सब-इंस्पेक्टर हैं 25% महिला सहायक सब-इंस्पेक्टर हैं 13% महिला कांस्टेबल हैं 12% महिला आईपीएस अधिकारी हैं. उच्च न्यायालयों में 33% पद तथा जिला न्यायपालिका में 21% पद रिक्त हैं. इलाहाबाद तथा मध्य प्रदेश उच्च न्यायालयों में प्रत्येक न्यायाधीश के पास 15 हजार मामले हैं. राष्ट्रीय स्तर पर, जिला न्यायालयों में प्रत्येक न्यायाधीश के पास औसतन 2,200 मामलों का कार्यभार है. वर्ष 2016-17 तथा 2025 के बीच उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 1136 से घटकर 1122 हो गई है. भारत में प्रत्येक 18.7 लाख जनसंख्या पर एक उच्च न्यायालय न्यायाधीश है. प्रत्येक 69 हजार जनसंख्या पर एक निचली अदालत का न्यायाधीश हैं.

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