Nasik – Waseem Raza Khan
नाशिक महानगरपालिका द्वारा काठे गली में दरगाह का अतिक्रमण हटाने के बाद अब शहर में सभी धर्मों के 150 अनधिकृत धार्मिक ढांचों पर कार्रवाई की जाएगी. मनपा ने इससे पहले 2019 में 108 धार्मिक ढांचों को हटाया था. कोरोना के कारण कार्रवाई धीमी पड़ गई थी, लेकिन अब लगता है कि अभियान फिर से गति पकड़ेगा, ऐसा सूत्रों से पता चला है. शहर के विस्तार के साथ ही अतिक्रमण भी फैल रहा है और अवैध धार्मिक ढांचों का मुद्दा मनपा के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है. कार्रवाई करने पर भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. अक्सर अवैध धार्मिक ढांचों को बनाने के पीछे की मंशा जमीन पर कब्जा करना होती है. कोर्ट ने राज्य में सभी अवैध धार्मिक ढांचों को हटाने का आदेश दिया था. इसी के तहत नाशिक मनपा ने शहर में अवैध धार्मिक ढांचों की पहचान के लिए सर्वेक्षण किया. तत्कालीन कमिश्नर अभिषेक शर्मा के आदेश पर 108 अवैध धार्मिक ढांचों को हटाया गया. इस कार्रवाई का खासा असर हुआ और यह राज्य में सबसे बड़ी कार्रवाई थी. लेकिन कोरोना के कारण अभियान रुक गया था. 3 दिन पहले काठे गली इलाके में एक अनधिकृत दरगाह को हटाने के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था. लेकिन आधी रात के बाद उस्मानिया चौक और पखाल रोड पर जमा भीड़ ने अचानक पुलिस पर हमला कर दिया और कार्रवाई के विरोध में पथराव शुरू कर दिया. इस घटना में 2 सहायक पुलिस आयुक्त और 3 पुलिस निरीक्षकों सहित कुल 21 अधिकारी और कर्मी घायल हो गए.

शहर के विस्तार के साथ ही अतिक्रमण भी फैल रहा है और अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं का मुद्दा नगर निगम के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है. कार्रवाई करने पर भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. अक्सर अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं को स्थापित करने के पीछे की मंशा जमीन पर कब्जा करना होती है. कोर्ट ने राज्य में सभी अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने का आदेश दिया था. इसी के तहत नाशिक मनपा ने शहर में अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं की पहचान के लिए एक सर्वेक्षण किया. तत्कालीन आयुक्त अभिषेक शर्मा के आदेश पर 108 धार्मिक संरचनाओं को हटाया गया. इस कार्रवाई के महत्वपूर्ण परिणाम हुए और यह राज्य में सबसे बड़ी कार्रवाई थी. लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण अभियान रुक गया. कुछ दिन पहले काठे गली इलाके में एक अनधिकृत दरगाह को हटाने के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था. लेकिन आधी रात के बाद उस्मानिया चौक और पखाल रोड पर जमा भीड़ ने अचानक पुलिस पर हमला कर दिया और कार्रवाई के विरोध में पथराव शुरू कर दिया. इस घटना में दो सहायक पुलिस आयुक्त और 3 पुलिस निरीक्षकों सहित कुल 21 अधिकारी और कर्मी घायल हो गए.