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मनपा चुनाव घोषणा के कारण मांंद पडा ऑपरेशन सिंदूर का उत्साह

Feature by Waseem Raza Khan

पहलगाम हमले के बाद से भारत में आतंकवाद और कश्मीर हमले में मारे गए प्रर्यटकों के साथ साहनुभूति वैसे तो पूरा देश जता रहा है. इस दौरान नाशिक शहर और जिले के साथ उत्तर महाराष्ट्र में आंतकवाद के खिलाफ विभिन्न प्रकार के आंदोलन किए जाते रहे. केंद्र की सरकार पर भारतवासियों के आंदोलनों के दबाव के चलते चर्चा भी चलती रही क्या भारत पाकिस्तान के साथ युद्ध छेड देगा? पिछले 15 दिनों से कश्मीर में हुए आंतकवाद के खिलाफ उठ रहे आंदोलनों के बाद भारत सरकार ने युद्ध की आधिकारिक घोषणा तो नहीं की थी लेकिल प्रसार माध्यमों के जरिए युद्ध की तैयारियों से देश का हर नागरिक अवगत रहा. यहां तक कि पाकिस्तान से भी सोशल मीडिया पर कई खबरे मिलती रहीं की भारत पाकिस्तान पर हमला करने वाला है. बुधवार को सीधा पाक सेना पर तो नहीं लेकिन पाक के कब्ले वाला कश्मीर जो गिलगित बल्तिस्तान कहलाता है वहां के आतंकी कैंपों पर भारत की सेना से गोलाबारी करते हुए उनके 9 ठिकानों से कई आतंकवादी मार गिराए जिसकी आधिकारिक पुष्टी प्रसार माध्यमों द्वारा की जाती रही. अंदाजा लगाया जा रहा था कि इस हमले को लेकर भारत में खुशियां मनाई जाएंगी. लेकिन लोग केवल टीवी के सामने बैठे रहे. नाशिक शहर में भी न ही भाजपा और उससे जुडे किसी संगठन ने उत्साह नहीं दिखाया. विश्व हिंदू परिषद और विभिन्न हिंदू संगठन भी शांत दिखाई दिए. हालांकि अंदाजा लगाया जा रहा था कि भाजपा मोदी सरकार के स्वागत में भारी उत्साह के साथ हमले को लेकर जोश मे दिखाई देगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इसके विपरीत शहर में मनपा चुनाव को लेकर चर्चा जोरों पर रही. चुनाव आयोग ने अगले 4 माह में मनपा चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं. पिछले ढाई साल से रुके हुए मनपा के चुनाव होने की घोषणा होते ही ऑपरेशन सिंदूर मांद पड गया और भारत का पाकिस्तान के आतंकियों को मार गिराने का जोश कहीं दिखाई नहीं दिया. सभी राजनीतिक पार्टियां मनपा चुनाव की तैयारियों को लेकर सिर जोड कर बैठ गई हैं. कारण यही समझा जा रहा है कि नाशिक में वैसे भी महायुति और महा विकास आघाडी में तनातनी है, एैसे में राजनीतिक समीकरण में अचानक नए बदलाव आ जाने का खतरा भी बना हुआ है. कौन सा प्रभाग कितने सदस्यों का होगा, किस पार्टी और उम्मीदवार का कहां जोर होगा और कहां बडी बडी पार्टियां भी मात खा जाएंगी, यह सारी पहेलियां बनी हुई है. इन सवालों के बीच ऑपरेशन सिंदूर पर प्रतिक्रिया देने या उत्साह दिखाने वाली स्थिती फीकी पड गई है. सभी का मनपा के चुनाव की चिंता ने घेर लिया है. ऐसे में चुनाव की घोषणा सुनते ही कश्मीर आतंकी हमला और उसके बाद युद्ध और फिर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कोई उत्साही नहीं दिखाई दे रहा है. प्रसार माध्यम राजनेताओं से प्रतिक्रिया लेने के प्रयास कर रहे हैं लेकिन एक ही कारण समझ आ रहा है कि मनपा चुनाव पर चर्चा के चलते ऑपररेशन सिंदूर मांद पड गया है.

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